"नन्ही सी जान" - Part 1
नन्ही सी जान,
नन्हे से उसके ख्व़ाब,
समंदर की गहराई में रहती, उसे तूफानों का आभास ना था,
लिखी हुई गलतियों को मिटा के फिर गलतियाँ करती,
बातों से डर लगता था उसे, उसे सिर्फ खुद को सुनना पसंद खा,
नन्ही सी दुनिया उसकी,
नन्हे उसके ख्व़ाब।
नन्हे से उसके ख्व़ाब,
समंदर की गहराई में रहती, उसे तूफानों का आभास ना था,
लिखी हुई गलतियों को मिटा के फिर गलतियाँ करती,
बातों से डर लगता था उसे, उसे सिर्फ खुद को सुनना पसंद खा,
नन्ही सी दुनिया उसकी,
नन्हे उसके ख्व़ाब।
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