मुत्तसिल का क्या है,

कभी उससे तो कभी कीसी से|

ऐतबार खुद पेे करो, उम्मीद खुद से करो,

क्योकी लोगो से तो सिलसीले होते है,

जज़्बात तो अपने खर्च होते है|

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